मोबाइल Off, शॉर्ट्स Stop! बागपत खाप का नया फरमान

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

उत्तर प्रदेश के बागपत से एक बार फिर ऐसा फरमान आया है, जिसने mobile generation और modern parenting—दोनों को एक साथ सोचने पर मजबूर कर दिया है।
खाप पंचायत ने एलान किया है कि 18 साल से कम उम्र के लड़के-लड़कियों को स्मार्टफोन इस्तेमाल करने की इजाज़त नहीं होगी, और साथ ही शॉर्ट्स/हाफ पैंट पहनना भी “संस्कृति के खिलाफ” माना जाएगा

संदेश साफ है— Scroll कम करो, Sanskar ज्यादा बढ़ाओ।

“School में Phone ठीक, घर में Danger!”

खाप चौधरियों का तर्क बड़ा straightforward है। उनका कहना है कि स्कूल में स्मार्टफोन पढ़ाई के लिए जरूरी हो सकता है, लेकिन
घर पर वही फोन बिगड़े हुए कंटेंट और बिगड़ते दिमाग का gateway बन जाता है

यानी फोन वही, इस्तेमाल बदलते ही खतरा। Problem mobile में नहीं, WiFi के पास बैठी curiosity में है।

Shorts पर क्यों इतनी Seriousness?

पंचायत का मानना है कि शॉर्ट्स और हाफ पैंट “भारतीय संस्कृति” के अनुरूप नहीं हैं। उनके अनुसार, कपड़ों से ही संस्कार झलकते हैं। युवाओं के लिए यह फैसला थोड़ा confusing है— एक तरफ global fashion, दूसरी तरफ local नियम।
मतलब साफ है— Trend Instagram से आए, लेकिन approval पंचायत से मिले।

दिलचस्प बात यह है कि कुछ समय पहले राजस्थान के जालोर में भी पंचायत ने बेटियों और बहुओं के स्मार्टफोन पर ban लगाया था।

Result?
भारी विरोध, सोशल मीडिया backlash और आखिरकार फैसला वापस। अब बागपत का ये कदम देखकर लोग पूछ रहे हैं— क्या ये भी temporary tradition साबित होगा?

Marriage Hall भी Out of Syllabus

खाप पंचायत ने केवल बच्चों तक ही बात सीमित नहीं रखी। उन्होंने मैरिज हॉल में होने वाली शादियों पर भी सवाल खड़े किए हैं।

उनका मानना है— शादी घर या गांव में हो, खर्च कम हो, रिश्ते मजबूत रहें। पंचायत के मुताबिक, Marriage hall culture = ज्यादा दिखावा, कम अपनापन।

Sanskar vs संविधान?

यह फैसला अब सिर्फ सामाजिक नहीं रहा। यह rights बनाम rules की बहस में बदलता दिख रहा है।

जहां पंचायत इसे अनुशासन, पारिवारिक मूल्य से जोड़ रही है, वहीं दूसरी ओर सवाल उठ रहा है— क्या बच्चों और युवाओं की personal choice पर ऐसे फैसले लागू किए जा सकते हैं?

जहां Future digital है, वहां फैसले अभी भी landline era के हैं।

बागपत खाप का यह फरमान सिर्फ smartphone या shorts की बात नहीं करता, यह उस gap को दिखाता है जहां tradition speed 2G है और generation 5G पर दौड़ रही है

अब देखना यह है कि यह फैसला जमीन पर टिकता है, या  social debate में dissolve हो जाता है। क्योंकि आज के दौर में सवाल यह नहीं है कि बच्चे क्या पहनें या क्या चलाएं, सवाल यह है कि उन्हें समझाया कैसे जाए।

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